जिनालय, शास्त्र संरक्षण/Renovation of Temple and Jain Literature

JSP Initiative

जय जिनेन्द्र आप सभी को,
जैसा कि, आप सभी को पता ही है कि, हम जीर्णोद्धार का कार्य कर रहे हैं । इसी क्रम में देश – विदेश में स्थित शास्त्रों की खोज एवं उनके संवर्धन के लिए एक योजना बनाई है, इसके अन्तर्गत हमने सांगानेर से पढ़े हुए एक भाई – पंकज जी को शास्त्र जी की जिम्मेदारी देने की सोची है, इसके तहत पंकज जी, ऑनलाइन जितने भी कैटेलॉग है, उन सभी को एवं जहाँ भी शास्त्र जी की जानकारी है, उसमे से काम के शास्त्रों की जानकारी जुटाकर हमको देंगे और वो शास्त्र फिर हम छपवा लेंगे ।

इस काम के लिए अभी हमने पंकज जी को आंशिक रूप में वेतन देने का बोला है(इसके एवज में वो अपना खाली समय हमें देंगे यह कार्य करने), अभी हमारे पास फण्ड की कमी है, इसलिए उनको पूर्ण रूपेण हम वैतनिक रूप में नहीं ले पाए हैं । यकीन मानिये ये काम इतना बड़ा है, की एक क्या १०० व्यक्ति भी लगे तो कम हैं, क्योंकि पिछले दिनों जितनी खोज मैंने की है, उससे तो यही लगता है ।

फिर भी एक व्यक्ति को कम से कम पूर्ण रूपेण इस काम में लगाना होगा । अभी पंकज जी को हम मासिक रूप में ५००० रु देंगे, पूर्ण रूपेण वैतनिक लेने के लिए ३०००० रु उनको देने होंगे । आप सभी से अनुरोध है, कि आप यह खबर वहां सभी तक पहुँचाये, आंशिक या पूर्ण रूपेण जो भी अर्थ सहयोग देगा तो बहुत अच्छा होगा । मैं सिर्फ आप लोगों को ही जनता हूँ, विदेश में, आप सभी तक खबर पहुँचायें, अन्यथा हम इस भाई की सेवा अर्थ के अभाव में ज्यादा दिन तक नहीं ले पाएंगे ।
साथ ही लन्दन और जर्मनी जैसी जगहों पर अपने लोगों की सहायता चाहिए, जो वहां के ग्रंथालय से जानकारी जुटा सके ।

***जर्मनी में हमारे सबसे ज्यादा शास्त्र जी हैं, वहीँ के २००० विद्वान् हमारे शास्त्रों के ऊपर शोध कर रहे हैं । ये सब शास्त्र निकलवाने हैं । उसके बाद लन्दन में हैं ।

मधुर जैन
९९६०४४२९५३ (मैं व्हाट्सएप्प नहीं चलाता, तो मुझसे फ़ोन या ईमेल द्वारा ही संपर्क हो सकता है)

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